स्वामी बालकृष्ण पुरी एक प्रसिद्ध संत एवं धर्म अनुयायी थे उनका जीवन बहुत ही सादा था एवं ईश्वर के प्रति पूर्ण आस्था रखते थे। रायगढ़ जिले में उनके बहुत सारे भक्तगण व अनुयायी थे जो उन्हें बहुत मानते थे । स्वामी जी का जीवन विशेष रूप से साधना करते बीता है और वे रायगढ जिले के लिये बड़े सौभाग्य की बात है कि स्वामी जी रायगढ़ में कोतरा रोड में चूना भट्टा के आगे जीवनकाल में ही समाधि ले लिये जो आज भी उसी स्थिति में विद्यमान है।
स्वामी बालकृष्ण पुरी महाराज रायगढ़ के प्रतिष्ठित फर्म गोविंदराम आशाराम फर्म के धर्मगुरू थे। उनके अनुयायी के रूप में अग्रवाल परिवार थे। स्वामी जी ने अपने अंतिम वर्षो में समाधि लेने के पूर्व अपने पास संचित निधि 25 हजार रूपये अपने अनुयायी अग्रवाल बन्धुओं को सौंपी एवं उनकी अंतिम इच्छा थी कि इस धनराशि का उपयोग धार्मिक क्षेत्र में न लगाकर किसी शिक्षा के क्षेत्र में लगाया जाय । स्वामी जी की इच्छानुसार उनके अनुयायियों ने रायगढ़ में गहन विचार विमर्श करने के उपरांत यह निर्णय लिया कि रायगढ़ जिले में विधि की शिक्षा उपलब्ध नहीं है। इस क्षेत्र के लोगों को दूरदराज स्थानों में जाकर विधि की शिक्षा ग्रहण करनी पड़ती है । इस कारण उनके अनुयायियों ने स्वामी जी के नाम पर रायगढ़ जिले में सन् 1972 में विधि महाविद्यालय की स्थापना करने का निर्णय लिया।
इस संबंध में स्वामी बालकृष्ण पुरी शिक्षण समिति का गठन किया गया जिसमें श्री गोविंदराम अग्रवाल जी अध्यक्ष एवं अन्य सदस्य रखे गये । इस प्रकार तत्कालीन म. प्र. सरकार के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा विधि महाविद्यालय प्रारंभ करने की अनुमति प्रदान की गई। इस शिक्षण समिति का पंजीकरण 10 जुलाई 1972 को हुआ है। वर्तमान में यह शिक्षण समिति केवल विधि महाविद्यालय का संचालन करती है। शिक्षण समिति ने स्वामी जी के नाम पर इस महाविद्यालय का नाम स्वामी बालकृष्ण पुरी विधि महाविद्यालय के नाम पर रखा है। जो निरंतर आज तक संचालित है । कालेज का संचालन प्रबन्ध समिति ( शासी निकाय) द्वारा सचालित होता है । 10 जनवरी 1972 से स्वामी बालकृष्ण पुरी स्मृति समिति का गठन तथा पंजीयन हुआ । समिति के गणमान्य सदस्यों द्वारा यह पाया गया कि रायगढ़ जिले में विधि की शिक्षा को छोड़कर अन्य शिक्षा उपलब्ध है । अतः उनके द्वारा रायगढ़ तथा उसके आस पास के क्षेत्र को निरंतर विधि की शिक्षा प्राप्त हो सके, इस हेतु एक विधि महाविद्यालय खोलने के लिये निर्णय लिया गया अर्थात उसी सन् में ही यह विधि महाविद्यालय रायगढ़ का नामकरण एक विशिष्ट महात्मा स्वामी बालकृष्ण पुरी के नाम से प्रारंभ हुआ जो आज तक संचालित है । Read More
स्वामी बालकृष्ण पुरी विधि महाविद्यालय सबसे पहले रायगढ़ जिले के आर.जी. मॉडल स्कूल में प्रारंभ हुआ, फिर पंजाब नेशनल बैंक के के पास चल रहा था, तत्पश्चात् म्युनिसिपल हाई स्कूल में चालू किया गया। विधि के अध्ययनरत छात्र-छात्राओं ने शासन से पृथक से विधि महाविद्यालय के लिये मांग उठाया। जिसमें छात्रसंघ के अध्यक्ष उमेश अग्रवाल के नेतृत्व में विधि के अध्ययनरत सभी छात्र-छात्राओं ने पृथक महाविद्यालय के लिये उग्र आंदोलन किये। अंततः शासन ने पृथक महाविद्यालय के लिये स्वीकृति दे दी और रायगढ़ जिले के श्याम टाकिज के नजदीक जिला ग्रंथालय के बगल में शासन द्वारा महाविद्यालय निर्माण के लिए भूमि प्रदान की गयी। जिसमें बड़े- बड़े वृक्ष लगे हुए थे, जिससे भवन निर्माण में कठिनाई हो रही थी। जिसे छात्रनेता उमेश अग्रवाल, अनिल अग्रवाल व ऐसे अन्य छात्र-छात्राओं द्वारा महाविद्यालय के निर्माण के लिये पेड़ों को काटा गया । स्वामी बालकृष्ण पुरी विधि महाविद्यालय का शिलान्यास म.प्र. के तत्कालीन गृहमंत्री माननीय श्री चरणदास महंत जी, राज्य मंत्री माननीय श्री नंदकुमार पटेल जी एवं विशिष्ट अतिथि विधायक माननीय श्री कृष्ण कुमार गुप्ता जी की अध्यक्षता में दिनांक 8 मार्च 1996 को किया गया ।
विधि महाविद्यालय के स्वयं के भवन निर्माण में स्व. डॉ. मातूराम अग्रवाल जी ने पूर्ण रूचि लेकर एवं अपना अमूल्य समय देकर धूप एवं बरसात के समय सड़क पर छाता पकड़कर खड़े होकर कड़ी मेहनत कर भवन के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जो कि अत्यंत प्रशंसनीय है एवं उनके योगदान को चिरकाल तक कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। भवन के बन जाने के बाद महाविद्यालय प्रारंभ होने पर भी उन्होंने अपने जीवन पर्यन्त विधि महाविद्यालय में रूचि रखते थे तथा निरंतर अपनी सेवायें देते रहे हैं। पूर्व शासी निकाय के अध्यक्ष रहे श्री रोशनलाल अग्रवाल जी, विधायक महोदय द्वारा, विधायक निधि से महाविद्यालय के प्रांगण में एक हाल का निर्माण किया गया है । कालेज के शासी निकाय का वर्तमान अध्यक्ष डॉ. मातूराम अग्रवाल जी के सुपत्र श्री पुरुषोत्तम अग्रवाल जी हैं, शासी निकाय में सचिव प्राचार्य होते हैं, शेष सदस्य होते है । यहाँ के लोग विधि की शिक्षा प्राप्त करने के लिये दूसरे शहर तथा राज्य के बाहर जाकर विधि की शिक्षा प्राप्त करते थे । सन् 1972 से इस महाविद्यालय की स्थापना के उपरांत स्थानीय लोगों को विधि की शिक्षा प्राप्त करने में पूरी तरह से राहत मिला । यह महाविद्यालय रायगढ़ एवं जशपुर जिले का एकमात्र विधि महाविद्यालय है। कालेज की स्वयं का भवन सन् 1996 में तैयार हुआ जिसका उद्घाटन संयुक्त मध्यप्रदेश के समय पूर्व मंत्री महोदय श्री कृष्ण कुमार गुप्ता जी के द्वारा किया गया था। कालेज से निकले छात्रों में से कई छात्र जिला न्यायालय में अधिवक्ता एवं मजिस्ट्रेट हैं, हाईकोर्ट में भी अधिवक्ता एवं मजिस्ट्रेट हैं, महाधिवक्ता भी हुए हैं यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट में भी अच्छे स्थिति में विशिष्ट अधिवक्ता की भूमिका निभा रहे हैं। जिनमें से इस महाविद्यालय से उत्तीर्ण कुछ ख्यातिलब्ध छात्रों का नाम इस प्रकार है अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश श्री हेमन्त सराफ, श्री प्रशांत मिश्रा, वर्तमान में उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली में न्यायमूर्ति के पद पर कार्य कर रहे हैं । मजिस्ट्रेट की श्रेणी में श्री लीलालधर सारथी, श्रीमती गंगा पटेल आदि हैं। महाधिवक्ता श्री रविन्द्र श्रीवास्तव जो कि वर्तमान सुप्रीम कोर्ट के प्रतिष्ठित अधिवक्ता हैं। श्री श्रीवास्तव छ. ग. स्थापना के उपरांत प्रथम महाधिवक्ता भी थे। रायगढ़ के प्रतिष्ठित अधिवक्ता स्व. श्री ओमप्रकाश बेरीवाल के सुपुत्र श्री अरूण बेरीवाल राजस्थान में जिला न्यायालय में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश हैं । कालेज में विधिक साक्षरता शिविर आयोजित होता है जिसमें सम्मानीय जजों को बुलाया जाता है तथा सीनियर एडवोकेट का भी सहयोग लिया जाता है ।
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